मौत का नाम माया… हाथ में गुदवाते थे गुर्गे, दिल्ली के खूंखार गैंग की कहानी

Maya Gang History : दिल्‍ली में कई कत्‍ल की वारदातों को अंजाम देने वाले ‘माया गैंग’ का सरगना सागर उर्फ माया भाई पुलिस के हत्‍थे चढ़ गया है. समीर की अपराध की दुनिया में कदम रखने और गैंग बनाने की कहानी पूरी तरह से फिल्‍मी है. यह गैंग पुराने बड़े गैंगस्टरों से अलग है, जिनका मकसद फिरौती, वसूली और गैंगवार होता है.

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नई दिल्‍ली: का दूसरा नाम माया’, दिल्‍ली में कई सालों से एक्टिव माया गैंग का यह लोगो है. गैंग के हर सदस्‍य के शरीर पर ‘मौत’ नाम का टैटू गुदा हुआ है. इस गैंग का सरगना है सागर उर्फ माया भाई, जिसने अपने इंस्टाग्राम बायो में ‘नाम बदनाम, पता कब्रिस्तान, उमर जीने की, शौक मरने का’ लिख रखा है. माया गैंग की कहानी पूरी फिल्‍मी लगती है. साल 2007 में एक फिल्म आई थी ‘शूटआउट एट लोखंडवाला’ इस फिल्म में विवेक ओबरॉय का किरदार एक माफिया गैंगस्टर का था, जिसका नाम था माया. सागर ने इसी फिल्‍म से प्रेरित होकर अपना नाम माया भाई रखा है. सागर की चाहत दिल्‍ली का डॉन बनने की है. इसी चाहत में सागर ने छोटी उम्र से ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था.

माया गैंग’ 2023 में सुर्खियों में आया

दिल्ली का ‘माया गैंग’ 2023 में तब सुर्खियों में आया था, जब एक रोड रेज की घटना में अमेज़न कंपनी के सीनियर मैनेजर की हत्या कर दी थी. इस हत्‍या को माया गैंग ने ही अंजाम दिया था. यह गैंग पुराने बड़े गैंगस्टरों से अलग है, क्योंकि इसका सरगना और सदस्य काफी कम उम्र के हैं. समीर ने बॉलीवुड फिल्म ‘शूटआउट एट लोखंडवाला’ में विवेक ओबेरॉय द्वारा निभाए गए किरदार ‘माया भाई’ से प्रभावित होकर अपने गैंग का नाम ‘माया गैंग’ रखा. वह खुद को ‘किंग माया’ भी कहता है. यह गैंग सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव है. सागर अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर हथियारों के साथ तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करता था, ताकि लोगों में उसका खौफ बना रहे. उसके बायो में ‘नाम-बदनाम, पता-कब्रिस्तान’ और ‘उम्र जीने की, शौक मरने का’ जैसी लाइनें लिखी थीं.

बड़े गैंगस्टरों से बेहद जुदा है माया गैंग

माया गैंग दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों जैसे भजनपुरा में सक्रिय है. गैंग के ज़्यादातर सदस्य नाबालिग या युवा हैं, जो फिल्मों और सोशल मीडिया से प्रभावित होकर अपराध की दुनिया में आते हैं. यह गैंग पुराने बड़े गैंगस्टरों (जैसे छेनू पहलवान और हाशिम बाबा गैंग) से अलग है, जिनका मकसद फिरौती, वसूली और गैंगवार होता है. माया गैंग का मकसद मुख्य रूप से दहशत फैलाना और नाम कमाना है. माया गैंग की कहानी यह बताती है कि कैसे कम उम्र के युवा फिल्मों और सोशल मीडिया से प्रभावित होकर अपराध के रास्ते पर चल पड़ते हैं, और एक छोटी सी घटना के बाद भी कितनी बड़ी हिंसा को अंजाम दे सकते हैं.

माया गैंग का खूनी इतिहास

सागर की चाह दिल्‍ली का डॉन बनने की है. इसलिए समीर ने कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था. पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार, वह नाबालिग रहते हुए भी कई हत्याओं, लूटपाट और पुलिस पर गोली चलाने जैसे मामलों में शामिल था. 2023 में भजनपुरा इलाके में एक पार्टी से लौटते समय माया और उसके साथियों की बाइक एक कार से टकरा गई थी. इस छोटी सी बात पर हुए विवाद में माया ने अमेज़न कंपनी के सीनियर मैनेजर हरप्रीत गिल और उनके मामा गोविंद को गोली मार दी. इस हमले में हरप्रीत की मौत हो गई, जबकि उनके मामा गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस के अनुसार, माया और उसके गैंग के सदस्यों का मुख्य मकसद अपराध करके जल्द से जल्द बड़ा नाम कमाना और इलाके में अपनी धाक जमाना था. इसलिए वे अक्सर छोटे-छोटे विवादों में भी हिंसक हो जाते थे.

अब पुलिस की गिरफ्त में माया भाई

दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के सरिता विहार इलाके में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और कुख्यात माया गैंग के बीच सुबह एक जबरदस्त मुठभेड़ हुई. इस दौरान गैंग का सरगना सागर उर्फ माया भाई गोली लगने से घायल हो गया, जिसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. माया गैंग में एक दर्जन से ज्यादा बदमाश शामिल हैं, जो दिल्ली-एनसीआर में एक्टिव हैं. गैंग के सदस्यों की पहचान उनके शरीर पर गुदवाए गए ‘मौत’ नाम के टैटू से होती है. सागर के खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें हत्या के प्रयास, लूट और अवैध वसूली जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं. सागर दूसरे बदमाशों से भी प्रोटेक्शन मनी वसूलता था. लेकिन अब ये माया भाई पुलिस की गिरफ्त में आ गया है.

 

 

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