नेपाल के चुनावी ऐप में खामियां: क्या Gen Z आंदोलन हैक हो चुका है?

नेपाल में जेन-ज़ी की टेक-ड्रिवन क्रांति लोकतंत्र को नई दिशा देने की कोशिश कर रही है। लेकिन इस हाई-टेक आंदोलन में बड़ी खामी उजागर हुई है। जिस डिस्कॉर्ड ऐप पर वोटिंग हो रही है, उसमें गड़बड़ियों और सुरक्षा खामियों की खबरें सामने आई हैं। सवाल ये उठ रहा है कि क्या नेपाल का डिजिटल लोकतंत्र अभी भरोसेमंद नहीं है?

 

भ्रष्टाचार-मुक्त लोकतंत्र बनाने की ईमानदार कोशिशों के बावजूद, नेपाल की टेक-ड्रिवन युवा क्रांति में बड़ी खामियां सामने आई हैं। आंदोलनकारी युवाओं ने आपस में मिलकर एक ऐसा ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया, जिसके जरिए वे मतदान और विचार-विमर्श कर रहे थे। लेकिन अब इस सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ियों और साइबर सुरक्षा की खामियों का खुलासा हुआ है। इससे न सिर्फ पूरे आंदोलन की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि यह भी आशंका गहराने लगी है कि कहीं यह युवा क्रांति बाहरी दखलअंदाजी या हैकिंग की शिकार तो नहीं हो रही।

 

 

 

विदेशी दखल का खतरा

ऐसी खामियां गंभीर चिंता पैदा करती हैं, खासकर नेपाल जैसे देश में, जो लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है और जहां अमेरिका, , चीन और पाकिस्तान जैसे बाहरी ताकतें पहले भी सक्रिय रही हैं.

बुधवार को जैसे ही प्रदर्शनकारी अपने अगले प्रतिनिधि को चुनने के लिए वोट डाल रहे थेऑनलाइन पोल में वोटर की पहचान की कोई प्रक्रिया नहीं थी. किसी भी व्यक्ति को बिना रोक-टोक कई पोल्स में वोट डालने की अनुमति थी. इस वजह से पूरे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और भरोसे पर सवाल उठने लगे.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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